21 मई 2018 को IIT मंडी के कर्मचारी सुजीत स्वामी ने प्रेस वार्ता करते हुए साक्ष्य के साथ संस्थान पर कई आरोप लगाए थे, जिन्हें अब IIT प्रबंधन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जूनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत सुजीत को 11 जनवरी को टर्मिनेट कर दिया गया।
उन्होंने IIT प्रबंधन द्वारा किए जा रहे गोलमाल, भाई भतीजावाद, चहेतों को नौकरी देने, वार्षिक वेतन वृद्धि व पदोन्नति और लास्ट डेट के बाद भी फॉर्म सबमिट हो जाने जैसे मुद्दों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी।
उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय, सीबीआई, सेंट्रल विजिलेंस कमीशन, हाई कोर्ट और पीएमओ तक इस मामले की शिकायत की लेकिन उन्हें कहीं से कोई आस नहीं दिखी। हालांकि मामला लोकसभा में दो बार उठने और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर द्वारा जांच करवाने की बात के बाद भी सुजीत को निराशा ही हाथ लगी।

हर तरफ से लगातार निराशाओं का सामना करने के बाद सुजीत ने बाध्य होकर 03 जुलाई को मंडी के सेरी मंच पर मुंडन करवाते हुए पुनः जांच की मांग की। आलम यह हुआ कि IIT प्रबंधन के ऊपर तो जांच नहीं बैठी बल्कि सुजीत द्वारा मीडिया में IIT मंडी की छवि खराब किए जाने का हवाला देते हुए उन्हें तलब किया गया।
सुजीत ने जवाब देकर बताया कि मैंने IIT के भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला है और यह मेरा मुलभूत अधिकार है लेकिन IIT ने इस दलील को सिरे से खारीज़ करते हुए उन पर जांच जारी राखी। सुजीत ने 18 नवंबर एवं 06 जनवरी को ही ज्वाइनिंग के लिए रिक्वेस्ट की लेकिन उसका कोई जवाब नहीं देते हुए 11 जनवरी को उन्हें सेवा से बर्खास्त करते हुए भविष्य के लिए अयोग्य करार दे दिया गया।
वहीं, सुजीत ने बर्खास्त किए जाने को गर्व की बात बताते हुए कहा कि सत्य की राह पर चलने की वजह से यह कार्रवाई हुई। यदि सिस्टम सपोर्ट करता तब आज परिणाम बिल्कुल विपरीत होते।
अनुशासनात्मक कार्रवाई में हुआ ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ का खुलेआम उलंघन
सुजीत के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई में भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया ‘प्रिंसिपल ऑफ नेचुरल जस्टिस’ का उलंघन होने पर उन्होंने शिकायत की लेकिन इसका कोई प्रतिउत्तर नहीं मिला। IIT की ओर से अनुबंध पर काम करने वाले एम्पलाई को प्रेसेंटिंग अफसर बनाया गया जिनके उपर खुद ही अनियमितताओं के कई मामले थे। नियमों की माने तो कोई रेगुलर कर्मचारी ही प्रेसेंटिंग अफसर हो सकते हैं।
यहां तक कि सुजीत को नियमानुसार ‘डिफेन्स असिस्टेंट’ देने के लिए भी पहले मना कर दिया गया लेकिन बाद में बात मन ली गई। उसके बाद जांच अफसर द्वारा की गई जांच की कॉपी पहले चार्ज अफसर को दिखाई जाती है लेकिन उस नियम को भी दरकिनार करते हुए सीधे आदेश सुना दिया गया।
लोकसभा में भी उठाया गया था मुद्दा
मंडी लोकसभा क्षेत्र के सांसद ने भी मॉनसून सत्र में IIT जांच के मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया था जहां उन्हें एचआरडी मिनिस्टर ने जांच करवाने का आश्वासन भी दिया था। दु:ख की बात यह है कि अब तक कोई जांच नहीं हुई।

सुजीत ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि मेरा टर्मिनेशन नियमों के खिलाफ है। इसमें कई सरे नियमों का खुलेआम उलंग्घन हुआ है लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा, जल्द ही शिमला हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाऊंगा और निश्चित ही मेरी जीत होगी। मुझे टर्मिनेट करके IIT ने उन लोगों को डंडा दिखाया है जो बहुत जल्द मेरे पक्ष में आने वाले थे।
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