पिछले एक हफ्ते से JNU उबल रहा है। यहां के छात्र क्लासरूम और लाइब्रेरी में होने की बजाय थाने और सड़क पर आंदोलन करने को मजबूर हैं। ताजा मामला विज्ञान स्कूल के एक प्रोफेसर अतुल जौहरी पर लगे यौन शोषण के आरोप का है। अबतक आठ लड़कियों ने प्रोफेसर अतुल जौहरी पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक इस मामले में ना तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई एक्शन लिया और न ही दिल्ली पुलिस ने न्याय के लिये बहुत रुचि दिखायी है।
अव्वल तो दिल्ली पुलिस ने लड़कियों की शिकायत पर FIR करने से ही मना कर दिया था, वहीं दूसरी तरफ VC भी इस मामले में सार्वजनिक चुप्पी ओढ़े हुए हैं। हालांकि छात्रों का कहना है कि पिछले दरवाज़े से कुलपति मामले की लीपापोती में लगे हुए हैं। इसकी एक बड़ी वजह है कि आरोपी प्रोफेसर, VC और संघ तथा BJP का करीबी है। उनके छात्रों ने आरोप लगाया है कि उन्हें प्रोफेसर अतुल ज़बरदस्ती संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बैठकों में जाने को कहते थे।
हालांकि JNU के हज़ारों छात्रों के रातभर थाने के बाहर प्रदर्शन करने के बाद और सोशल मीडिया पर जौहरी के खिलाफ हैशटैग करने के बाद दिल्ली पुलिस को FIR लिखना पड़ा। यह अलग बात है कि FIR के पांच दिन बाद उसे गिरफ्तार किया गया और गिरफ्तारी के दो घंटे के भीतर जौहरी को बेल भी दे दी गयी।
बेल के अपील में जो बात लिखी है वो और भी हैरान कर देने वाली बात है। जिस आधार पर बेल मांगी गई वो थी कि चूंकि जिस यौन शोषण की घटना का ज़िक्र किया गया है वो 2013-14 की बात है और अभी 2018 है तो 4 साल की देरी क्यों।
अब सवाल उठता है कि क्या आठ लड़कियों के यौन शोषण जैसे मामले का गंभीर आरोपी अतुल जौहरी को आनन-फानन में बेल दे देना, दिल्ली पुलिस की तरफ से रिमांड का आग्रह नहीं करना जैसी चीज़ें साबित करती हैं कि कहीं न कहीं सरकार, प्रशासन अतुल जौहरी को बचाने की कोशिश कर रही है।
जिस अतुल जौहरी को गिरफ्तार करने के लिये 24 घंटे लगातार चार दिन तक छात्रों को प्रदर्शन करना पड़ा, उसे सिर्फ दो घंटे में छोड़ देना न्याय का मज़ाक नहीं है तो क्या है? शुरुआत से ही अतुल के खिलाफ केस को कमज़ोर करने की साज़िश हो रही है। अबतक आठ महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। लेकिन शुरुआत में पुलिस ने सिर्फ 1 मामले में FIR दर्ज किया था। लेकिन वसंत कुंज थाना के बाहर प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स का दबाव बढ़ने के बाद पुलिस ने 7 और FIR दर्ज किए। लड़कियों ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि प्रोफेसर अतुल अक्सर सेक्शुअल कमेंट करते थे। लेकिन फिर भी इस केस को लगातार कमज़ोर किया जा रहा है।
JNU की प्रोफेसर आयशा किदवई ने कहा कि जीएसकैश अगर कैंपस में लागू रहता तो अभी तक VC को अतुल जौहरी को संस्पेंड करना पड़ जाता। मालूम हो कि JNU में सेक्शुअल हरासमेंट जैसे केस की सुनवाई के लिये छात्रों-शिक्षकों की भागीदारी वाला जीएसकैश लागू था, जिसे वर्तमान JNU VC ने खत्म कर दिया।
अगर आप आम आदमी हैं तो आपके मन में यह सवाल ज़रूर उठना चाहिए कि क्या जिनके पास सरकार का समर्थन प्राप्त है, जो सत्ता में हैं क्या उन्हें लड़कियों का यौन शोषण करने की खुली छूट है? क्या यह बैचेन करने वाला नहीं है कि किसी लड़की को जो उच्च शिक्षा का सपना देखकर, मेहनत करके देश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय में नामांकन लेती है और वहां उसका शोषण किया जाता है, उसपर भी उस शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाने पर सत्ता, शोषक के पक्ष में खड़ी हो जाती है। यह डराने वाली हकीकत है।
अभी कुछ दिन पहले इसी तरह अंबेडकर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर लियांग को, यूनिवर्सिटी की अंतरिम कमेटी ने यौन शोषण का दोषी माना था।लेकिन उन्हें भी सस्पेंड करने के बजाय सिर्फ डीन के पद से हटा दिया गया। यह बताता है कि वर्तमान सरकार भले बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देती है लेकिन उसकी मंशा कतई नहीं है कि वह देश की बेटियों को बचाये या फिर उन्हें पढ़ने दे।
क्या बालात्कार की राजधानी कही जाने वाली दिल्ली में पुलिस ऐसी ही संवेदनशीलता के साथ यौन शोषण के मामले की जांच करती है? दिल्ली पुलिस कटघरे में खड़ी है? वह कम से कम न्याय के पक्ष में तो खड़ी नहीं दिख रही है? उसने बिना कुछ कहे या जांच के लिये आरोपी को रिमांड पर लेने की कोर्ट में अपील तक नहीं की।
यह तो संयोग है कि JNU की उन आठ लड़कियों के पीछे पूरे छात्र और शिक्षकों का समर्थन है, वे लोग लगातार सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक प्रशासन पर न्याय के लिये दबाव बना रहे हैं। लेकिन उन महिलाओं के बारे में सोचिये जो दबे-कुचले-शोषित समुदाय से आती हैं, जिनके पीछे समाज तो क्या उनका अपना परिवार तक खड़ा नहीं होता। क्या उन महिलाओं को न्याय दिलाने का दिल्ली पुलिस का यही तरीका है?
अगर हां, तो यह डराने वाला है। लेकिन वक्त डरने का नहीं, दिल्ली पुलिस ने सवाल पूछने का है।
The post क्या यौन हिंसा के आरोपी अतुल जौहरी जैसे शिक्षकों को, बचाने में जुट जाता है सिस्टम appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.