जरा सोचिये कि क्या सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के इतने महान बल्लेबाज बन पाते, अगर उन्होंने क्रिकेट की बारीकियां ऑनलाइन कंप्यूटर के सामने बैठ कर सीखी होती? क्या साइना नेहवाल लंदन ओलंपिक का खिताब जीत पातीं, अगर उन्होंने कोर्ट के बजाए बैडमिंटन प्रैक्टिस कंप्यूटर पर की होतीं? नहीं ना? मगर देश में ऐसे भी कुछ संस्थान हैं जो अपने छात्रों को प्रैक्टिकल कोर्सेज़ भी 13 बाई 15 इंच के लैपटॉप स्क्रीन पर सिखाते ह...
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